
मैं भी एक ऐसी ही महिला हूँ मैंने भी दुनिया की धूप छाँव देखी है आस -पड़ोस में रोज़ नई- नई बातें सुन ने को मिल रही हैं कि सरकार गाँव देहात का नक्शा बदलने की मंशा रखती है मुझे भी अब लगने लगा है कि ज़रूर कुछ न कुछ बेहतर होगा हमारी भी ज़िन्दगी की नई सुबह होगी नवयोवनाओं को इज्ज़त और सम्मान के साथ साथ घर और समाज में पहचान मिलेगी चलो एक आशा कि किरण दिखने का आभास तो हुआ चलो कोई ना , बराबरी नहीं तो कोई बात नहीं मगर हमारे होने का तो आभास हो सका सुना है हमारे लिए एक नया मह्क़मा भी खड़ा किया है शायद अब सोच के स्तर पर भी कुछ न कुछ ज़रूर बदलेगा जब हमारा विकास होगा तो ही समाज और यह देश जीने लायक बन सकेगा शायद जल्द ही ऐसा मौक़ा मिले कि हमें भी अपने महिला होने पर गुमान हो आपको भी ऐसा देखकर अच्छा लगे , ऐसी तमन्ना है मेरी महिला और विकास नारा नहीं बल्कि एक हकीकत बनते देखने का अरमान है